Malegaon bomb blast aropi को 17 साल बाद कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। जानिए प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बाइज्जत बरी करार दे कर बरी कर दिया है | आइये जाने आरोपिओं के नाम और केस का पूरा विवरण।

मालेगांव ब्लास्ट केस: सभी आरोपी बरी, कोर्ट ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए 2008 के बम धमाके में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। Malegaon bomb blast aropi को कोर्ट ने साक्ष्यों की कमी के चलते बरी कर दिया। इस केस में कुल 7 आरोपी थे, जिनमें प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित जैसे हाई-प्रोफाइल नाम शामिल हैं।
किन-किन पर था केस? सभी Malegaon bomb blast aropi की सूची
इस केस में जिन लोगों पर केस चला, वे थे:

- प्रज्ञा सिंह ठाकुर (BJP सांसद)
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित
- मेजर रमेश उपध्याय
- सुधाकर द्विवेदी
- अजय राहिरकर
- समीर कुलकर्णी
- सुधाकर चुतर्वेदी
इन सभी को Malegaon bomb blast aropi के तौर पर NIA की चार्जशीट में नामित किया गया था।
धमाके की पूरी जानकारी
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें की 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र में मालेगांव में एक जबरदस्त बम ब्लास्ट हुआ था। बम एक मोटरसाइकिल में रखा गया था। इस ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हो गयी थी और 100 से भी आदिक लोग घायल हुए थे। बताया जा रहा है की बम धमाका इतना जोरदार था की चारो ओर दहशत का माहौल बन गया था, सब कुछ जल कर खाक हो गया था। इस हादसे के बार चारो तरफ अफरा-तफरी मच गयी और घटना के तुरंत बाद पुलिस, सुरक्षा टीम और एम्बुलेंस तथा फायर-बिर्गेड की गाड़िया आई।
सहायता कार्य में जुट गए बम धमके में घ्याल हुए लोगों को तुरंत नजदीकी हस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके इलावा पुलिस इस घटना की जाँच में जुट गए जिसमे 7 आरोपिओं का नाम सामने आया। आरोपिओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके इलावा NIA कोर्ट ने इस घटना कर्म से जुड़े सभी अपरदियों के खिलाफ पुख्ता सुबूत इकठा करने का निर्देश दिया। लेकिन आज 2008 के मालेगांव की घटना में बड़ा फैसला सुनने में आये जिसमे 17 साल बाद एनआईए कोर्ट की ओर से सभी 7 आरोपिओं को बरी करने का निर्णेय लिया गया। NIA का कहना है की बम ब्लास्ट केस में अप्राधिओं के खिलाफ जाँच में कोई पर्याप्त सुबूतों का न मिलना और जाँच में कुछ ख़मीओं के कारन सजा नहीं दी जा सकती जिसके बिनाह पर उन्हें बरी किया जाता है।
कोर्ट का निर्णय: क्यों बरी हुए सभी आरोपी?
NIA की स्पेशल कोर्ट ने कहा कि “Malegaon bomb blast aropi” के खिलाफ ऐसे कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए गए जो उन्हें दोषी ठहरा सकें। सभी गवाहों के बयान परस्पर विरोधी थे और फोरेंसिक या डायरेक्ट एविडेंस नहीं मिला। यह फैसला मुंबई में गुरुवार के दिन लिया गया जब एक एनआईए अदालत ने 2008 के बम ब्लास्ट केस में सभी पकडे गए 7 आरोपिओं के खिलाफ पुख्ता सुबूत न मिलने के कारन कोर्ट ने आरोपिओं को बरी कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष विफल रहा, इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
क्या था NIA और ATS का रुख?
शुरुआती जांच ATS ने की थी, जिसमें प्रज्ञा ठाकुर की बाइक धमाके में इस्तेमाल हुई बताई गई। बाद में केस NIA को सौंपा गया। लेकिन इतने सालों की जांच के बाद भी Malegaon bomb blast aropi को दोषी साबित करने लायक सबूत नहीं जुटाए जा सके। जिसके कारन कोर्ट ने आरोपिओं के खिलाफ सुबूत की कमी के कारन सभी आरोपिओं को बरी कर दिया है।
राजनैतिक हलचल और प्रतिक्रियाएं

BJP नेताओं ने इस फैसले को “सत्य की जीत” बताया। वहीं विपक्षी दलों ने कहा कि ये फैसला पीड़ितों के साथ न्याय नहीं है।
हालांकि कानूनी रूप से देखा जाए तो कोर्ट ने जो कहा, वह ये कि Malegaon bomb blast aropi को दोषी ठहराने लायक कोई ठोस गवाह या सबूत मौजूद नहीं था।
निष्कर्ष
इस फैसले के बाद, 17 साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया खत्म हुई। Malegaon bomb blast aropi बरी हो चुके हैं, लेकिन समाज में इस केस को लेकर बहस अभी भी जारी है। ये फैसला एक बड़ा संकेत देता है कि जांच एजेंसियों को अपने स्तर पर सुधार करना होगा ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके और आरोपिओं को समय रहते सजा।
FAQs
Q1. Malegaon bomb blast कब हुआ था?
29 सितंबर 2008 को।Q2. कौन-कौन थे Malegaon bomb blast aropi?
प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रमेश उपध्याय, सुधाकर द्विवेदी, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, सुधाकर चुतर्वेदQ3. कोर्ट ने आरोपियों को क्यों बरी किया?
सबूतों की कमी और विरोधाभासी गवाहों के चलते।Q4. क्या आगे अपील की जा सकती है?
हाँ, सरकारी एजेंसियां हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती हैं।